Thursday, February 23, 2012

jindgi aur najeriye

यह दुनिया अलग तरह से देखो
दुनिया मेरी नज़र से देखो कभी
दुनिया सीधी दिखती है
मगर ये इतनी सीधी नही है
जरा समय निकालो ओर कभी
जियो मेरी तरह
हमेशा एक ही रास्ता क्यों पकड़ ते हो
कभी मेरा रास्ता भी अपनाओ
दुनिया की तराह बद्लिनी हो तो



कभी उल्टा रास्ता पकडो
जिंदगी एक तरह से जीने में
क्या हे मज़ा?
कभी मेरा रास्ता भी पकडो
कहते है साधू चलता भला
यह बात की गहरीय में जाओ तो
सेम्जोगे उसका मतलब
जैसे बंधा हुआ पानी बॉस मरता है
जैसे बंधे हुए घोडे का कोई मतलब नही
उसी तरह अपने तय किए रस्ते पे
हमेशा चलने में कोई मज्जा नही
कभी अपने जिनेइकी तरह में
थोड़ा बदलाव लाके देखो
जिंदगी ओर मस्त हो जायेगी
एक ही तरह की जिंदगी में कोई
मज़ा नही जरा मेरी तरह थोड़ा
जीके देखो कभी
में जैसे उल्टा हो गया हु
वैसे कभी थोड़ा उल्टा हो जाओ
औरर दुनिया को देखो
ओर उलटी जिंदगी का लुफ्त उठाओ
यह मेरा वादा है आपको
आपकी जिंदगी की ओर नजरिया ही
बदल जायेगी॥
कभी लंगूर को उल्टा हुआ देखा होगा
वोह कैसे आनंद से अपनी जिंदगी जी रहा है
हमेशा एक ही रास्ता पकड़ लेने में क्या है मज्जा
कभी अपना रास्ता बदलके तो देखो
कभी किसीने कुछ पाया है
तो इसका कारन है अलग तरह से जीना
ओर अलग तरह से काम करना
शुरुआत में दुनिया खिल्ली उडाती है
मगर फ़िर ढेर सारा सम्मान देती है
मुझे देखकर आप हस्ते है
मगर मुझे तो आप उल्टे दीखते हो
अपनी जिंदगी को थोडासा तरह से जियो कभी
शायद अपनी तक्लिफोसे थोडी सी रहत मिल जाए
में अभी जो देख रहा हु उसे देखनेके लिए
थोड़ा उल्टा होके दुनिया देखो कभी कभी
बहुत मज़ा आयेगा
एह मेरा वादा है तुम दुनिया को
अलग नज़र से देखने लागोगे
थोडी सी कोशिश करो और अपने आप अनुभव करोगे
एक ही तरह से जीने में क्या है मज़ा
कभी थोडा बदलाव लाओ अपनी जिंदगी में

Sunday, February 19, 2012

लड़की दूकानदार से:- CONDOM देना..
दूकानदार(मस्ती मैं):- किस लिए!
लड़की (गुस्से से):- तेरे बाप को गिफ्ट करूँगी, ताकि तेरे जैसा दूसरा चुतिया पैदा ना करे.
मुन्ना भाई:- अपुन को कैसी पता चलेगा की ये बकरा है या बकरी?”
सरकिट:- ”सिंपल है भाई, पत्‍थर मार कर देखो, अगर भगा तो बकरा और अगर भागी तो बकरी.


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एक ब्रिटिश टूरिस्ट ने इंडिया मे एक सरदार को सड़क के किनारे सू-सू करते देख और उससे पूछा:- यहाँ पुलिस नही पकड़ती क्या?
सरदार:- (रोनी सूरत बना के) - नही जी, यहाँ खुद अपना पकड़ कर करना पड़ता है.


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एक आदमी ने नरगिस को गोद में बिठा के पूछा: - तुम एक रात में कितना कमा लेती हो?

नरगिस:- Rs..50,000

आदमी:- सच बता?

नरगिस:- रोज़ी पे बैठी हूँ झूठ थोड़ी बोलूँगी !

sapna

प्यार का शायद वह पहला अहसास था या फिर आकर्षण... मैं आज तक नहीं समझ सका। उस आकर्षण में बंधा हुआ आज भी उस चेहरे की उस पहली झलक का इस दिल पर इतना गहरा असर हुआ कि दिल के हर कोने में आज भी वह उसी तरह साकार है जैसा कि उस पहले दिन थी।
उस दिन मेरा मन पढऩे में नहीं लग रहा था। सर कुछ समझा रहे थे और मेरा दिल बार-बार नजरों को उठने के लिए विवश कर रहा था.... वह ठीक सामने बैठी थी, मन में शायद उसके भी हलचल थी या हो सकता है ये मेरे ही दिल का भ्रम हो... मगर मैं आज भी उस भ्रम को टूटने नहीं देना चाहता। कई बार ऐसा होता है न कि कोई एक शख्स यूं ही अचानक आकर जिंदगी में हलचल सी मचा देता है या जिंदगी ही बदल देता है। उसने कुछ ऐसा ही किया मेरे साथ भी। उस एक पल ने शायद मेरी पूरी जिंदगी बदल कर रख दी। मुझे उस प्यार के मायने समझा दिया जो सबसे सुखद अहसास है और दिल में कुछ अजीब सा होने लगता है। दिमाग चाह रहा था कि मैं सर की बातों पर ध्यान दूं, मगर दिल ऐसा नहीं करने दे रहा था। दिल की विवशता कुछ ऐसी थी कि चोरी-चोरी बार-बार नजरें उठ रही थी और वह चेहरा हर बार अंतर में कहीं गहरा और गहरी पैठ बनाता जा रहा था।
क्या था उस चेहरे में..? क्यों मैं विवश हो रहा था..? क्यों मैं उसे भी हर उस लड़की की तरह नजर अंदाज नहीं कर पा रहा था..? इन सवालों का जवाब मैं आज तक नहीं तलाश सका। अब तलाशने की इच्छा भी नहीं है। बस यही लगता है कि वह एक पल जिंदगी में न होता तो क्या होता..? शायद उसी एक पल ने मेरी ङ्क्षजदगी में कुछ उलझन और कुछ सुलझन भर दी।
वह मगन थी अपनी कॉपी में कुछ लिखने में... शायद जो सर समझा रहे थे वही लिख रही थी वह... लिख तो मैं भी रहा था, लेकिन क्या..? हाथ कॉपी पर चल रहे थे और मेरे मानस पर दिल के हाथों कुछ और ही इबारत लिखी जा रही थी। प्यार की इबारत...। जज्बातों की कहानी और आकर्षण की पहली अनुभूति की मिठास की कहानी। कब क्लास खत्म हो गई, पता ही नहीं चला। अचानक से जैसे वह आई थी... वैसे ही उठकर चल दी, अपनी सहेली के साथ और तभी मुझे ऐसा लगा कि अभी दौड़कर उसका हाथ पकड़ लूं और कह दूं कि क्यों जा रही हो... अभी मेरा मन तुम्हे निहारने से नहीं भरा है... कुछ देर और बैठो न... पर ऐसा नहीं हो सकता था... शायद मेरा शर्मीलापन या संस्कार या फिर एक अनजाना सा डर... मैं पूरे एक साल इसका इंतजार करता रहा कि उससे कुछ कह सकुं... मगर हुआ क्या... प्यार के दो शब्द कहना तो दूर... मैं कभी उसका नाम लेकर भी न पुकार सका....।

banyi aankh se paresan

Main Ek Seedha Sadha Insan Hu
Par Main Apni Baayi Aankh Se Pareshan Hu

Jab Bhi Main Kisi Ko Dekhta Hu Meri Baayi Aankh Chal Jati Hai
Bachpan Ka Ek Kissa Suniye, Ye Baat Hai Bachpan Ki

Meri Class Me Padhti Thi Rekha Maine Usko Dekha
Meri Baayi Aankh Chal Gayee
Wo Uchhal Gayee Machal Gayee, Aur Kaksha Se Nikal Gayee

Principal Madam Ka Bulawa Aaya
Unhone Mujhe Lamba Chowra Bhashan Pilaya

Isse Pehle Ki Wo Mujhe Aur Kuch Keh Paati
Meri Baayi Aakh Chal Gayee
Unhone Mujhe Vidyalaya Se Nikala
Phir Mai Sidha Andaman Aa Pahucha

Andaman Me Meri Shadi Ki Baat Chali
Jaise Hi Maine Sasu Ji Ko Dekha
Meri Baayi Aankh Chal Gayee
Sasur Ji Kehne Lage Bete Shadi Karne Aaye Ho Meri Beti Se Aur Line Marte Ho Meri Patni Ko
Tabse Main Kunwara Tha

Shayad Bhagvan Ko Mujh Par Taras Aaya
Unhone Mujhe Shivani Se Milaya
Maine Use Apna Haal Bataya
Tab Jake Usne Mujhe Apnaya

Ab Main Shadi Shuda Hoon
Aur Ek Natkhat Chulbuli Beti (Vaibhavi) Ka Baap Hoon…

funny

Aapke Har Gunah Ki Mafi Hai
Aap Jo Roye To Bahut Na Insaafi Hai
Aapki Aankho Mein Na Aaye Kabhi Pani
Kyunki
Behne Ke Liye To Aapki Naak Hi Kafi Hai…